श्री

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Wednesday, June 23, 2010

दया पाप है mangaldhanram


परम पूज्य अघोरेश्वर :-
· बिना सोचे-बिचारे कोई निर्ण्य लेना मनुष्यकी अपनी कमजोरी है l

दया एक बड़ा पाप है l न दया करनी चाहिए और न दया की प्राप्ति की आशा करनी चाहिए l दया से प्रयत्न दूर हो जाता है और प्रयत्न ही सत्य का स्वरूप है l ईश्वर के यहाँ न्याय होता और हमारे यहाँ की ही तरह वहाँ भी एक न्यायालय है l किसी पर दया नहीं की जाती l न्याय का मतलब दया नहीं है l किसी व्यक्ति के प्रति दया करना, न्याय से डिगना ईश्वर के प्रति बड़ा अपराध करना है l

6 comments:

  1. शानदार जानकारी! आभार!

    -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
    सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
    इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में 4366 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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  2. आपके अपने विचार है जो आपके वयक्तितत्व को दर्शाते है . वेसे भी हर किसी का अपना तरीका होता है . बहुत अच्छा लगा आपके धार्मिक विचारों को पढकर. आगे भी लिखतें रहें .

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  3. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  4. परम पूज्य सरकार बाबा के यहाँ दर्शन हुए । अहोभाग्य ।

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  5. pratham baar aise sadupdesh sune hain.
    achchha laga.
    dhanyvaad.

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  6. बहुमूल्य टिप्पणियां देनें के लिए स्वागत और धन्यवाद् !

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