श्री

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Wednesday, August 11, 2010

सोये हुये को जगा सकते हैं, काछे हुये को नहीं l


· आदतकी दवा मौत है l अभ्याससे आदतका निर्माण होता है आदत धर्म का रूप लेती है l धर्मका नाश नहीं होता l जो आदत धर्मका रूप नहीं लेती उसका नाश शरीरके साथ ही होता है उससे पहले नहीं

· तेरी जिन्दगीमें केवल चार बातें हैं और यह भी जरूरी नही कि तू चारोंको याद कर l यदि तुझे खुशनसीब होकर जीना है तो दो बातें---यानी भलाई, जो तूने किसीके साथकी हो और बुराई जो किसी दूसरेने तेरे साथ की हो---दोनोंको हमेशा-हमेशाके लिए भूल जा और दो बातें-पहली मालिक और दूसरी मौतको सर्वदा याद रख l
· जो बहुत सिद्धान्तकी बात करता है, जो बहुतसे धर्म-शास्त्र पढ़ता है, जो बहुत कुछ जानता है, पर उन सबपर अमल नहीं करता, वह, उस निर्धनके समान है जो दूसरोंका धन गिन कर स्वयं धनी होनेका अहंकार करता है l
· धर्म-द्रोहीका मन मुर्दा, पापीका मन रोगी, लोभी व स्वार्थीका मन आलसी तथा भजन साधनमें तत्पर व्यक्तिका मन स्वस्थ होता है l हे मानव ! यदि तू अपने स्वास्थ्यको जीवन भर कायम रखना चाहता है तो अधर्म, द्रोह, पाप एवं लोभसे अपने आपको मुक्त कर ले l यही संसार तुझे प्रकाशयुक्त लगेगा और तू इस प्रकाशसे अपना ही नहीं, अपने सम्पूर्ण समाजके स्वास्थ्यकी रछा कर सकता है l

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