श्री

श्री

Sunday, August 15, 2010

mangaldhanram

सौदे के लिये बटसरे बाजार हुये हम l
हाथ उसके बिके जिसके खरीदार हुये हम ll

दुनियाको एक सराय समझते रहे सदा,
एक रात रहकर सुबहको बिस्तर उठा चले ll

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